एक साल कब बीत गया
देखो तो पता भी नहीं चला
कितने भावों अरू दुखों को
गया साल यह साल गया।
पापा जी के जाने का गम
सबको अन्दर से तोड़ गया
कैसी धारा को मोड़ गया
देखो तो कैसा समय रहा।
तनिक हमें तो पता न था
पल में ऐसा ही दिन आयेगा
जो हुआ अवनि! ने दृढ़ता से
सब फर्जों को अंगीकार किया।
बन बड़ी सयानी अरू पावस
सारे फर्जों को निभा दिया।
बेटा-बेटी में भेद नहीं
तुमने तो जग को दिखा दिया।
सच अवनि! हमारी देवी हो
दुख-सुख में जो सम रहती हो
बस चुप सब करती रहती हो
कुछ भी न किसी से कहती हो।---25 october..
सार्थक रचना, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDelete"शुभ दीपावली"
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मंगलमय हो शुभ 'ज्योति पर्व ; जीवन पथ हो बाधा विहीन.
परिजन, प्रियजन का मिले स्नेह, घर आयें नित खुशियाँ नवीन.
-एस . एन. शुक्ल
Bahut Sunder Bhav liye Rachna .....
ReplyDeletebahut sundrta se bhavo ko vyakt kiaa
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