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Monday, August 6, 2012





    हे! गंगे मां ये रौदz रूप
    हे! भोले तांड़व करो शांत
    मानव की करनी भोग रहे
    काशी के वासी कुपित क्लान्त।
    मां गंगे तुम माता हो
    किस कारण है ये कzोध भरा
    तुमसे ही जीवन पाया है
    तुमसे ही उपजी ये मनुज धरा।
    तुम भोले बाबा कृपा करो
    तटबंधों पर हैं बसे लोग
    उनकी रक्षा की खातिर अब
    मां गंगा का रोको प्रकोप।..... ध्यानी. 6, अगस्त, 2012.

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