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Friday, March 5, 2010

कब तक बुरे लोगों एवं बुराई से ड़रते रहेंगे?

कब तक बुरे लोगों एवं बुराई से ड़रते रहेंगे?दिनेश ध्यानीमैं पिछले कुछ समय से कोषिष कर रहा था कि कुछ लिखूं लेकिन समय नहीं मिल पा रहा था। लेकिन पिछले सप्ताह कुछ ऐसा हुआ कि मुझे कुछ लिखना ही पड़ा। असल में बात ऐसी है कि दिनांक 9 फरवरी 2010 को मेरे एक मित्र की माता जी का देहावसान हो गया था। सो मुझे निगमबोध घाट जाना पड़ा। वहां अन्य मित्र भी उपस्थित थे। कि तभी मेरे मित्र भास्कर नौटियाल जी के फोन पर एक फोन आया। उनको विचलित देखकर मैंने पूछ लिया कि क्या बात है? वे बोले कि कुछ खास नहीं लेकिन मैं ऐसे थोड़े ही मानने वाला था। उनसे पूरी बात जानकर ही चैन लिया उसके बाद मैं भी अन्दर ही अन्दर एक प्रकार से घुटन महसूस करने लगा। यहां हम किस काम से आये थे और एक और ही समस्या ने हमें घेर लिया। हो सकता है कि हमारे लिए वह बात इतनी महत्व की भी न होती लेकिन जब उन पीड़ित परिवार के सामने अपने को रखकर सोचा तो मन बहुत ही परेषान हो गया।असल में बात यह थी कि पूर्वी दिल्ली की किसी कलोनी में कोई सज्जन सपरिवार रहते हैं। उनकी बेटी की षादी 14 फरवरी 2010 को होनी थी। लेकिन उनके घर में एक व्यक्ति बैठा हुआ था और वह उनको धमका रहा था कि तुम अपनी लड़की की शादी कहीं और कैसे कर सकते हो। इसके साथ तो मेरे संबध हैं और मैं इससे विवाह करूंगा। लड़की को पूछा गया तो वह रोते हुए बोली कि मैं इस आदमी को ठीक से जानती भी नहीं हूूं तो फिर इससे ष्विवाह करने का तो सवाल ही नही होता। पता करने पर ज्ञात हुआ कि लड़की के घर के पास किसी का मकान बन रहा था। यह व्यक्ति उनके मकान में पानी की लाईन बिछाने का काम करता था। पड़ोस का मामला होने के कारण एक दो बार यह व्यक्ति उनकी बेटी को उनके घर से पास ही कहीं जहां वह लड़की काम करती थी वहां तक लिफ्ट दे चुका था। इससे अधिक कुछ बात नही थी। लेकिन उस व्यक्ति का अपनी पत्नी से तलाक हो चुका था। लड़की एवं उसके घरवाले किसी भी प्रकार चाहते थे कि जहां उनकी बेटी का विवाह तय हुआ है वहीं सही से हो जाए लेकिन ये महाषय थे कि किसी की बात सुन ही नही रहा था। जब भी मौका मिलता यह व्यक्ति या तो उनके घर खुद टपक जाता और उनको धमकाता, गाली गलौच करता एवं ष्षादी रोकने की धमकी देता। लड़की के घरवालों की दिन का चैन एवं रात की नींद हराम हो रखी थी। लोकलाज के कारण वे किसी से इस आदमी की षिकायत भी नही कर पा रहे थे। लेकिन जब मुझे पता चला तो मैंने अपने मित्र को सलाह दी कि उनके घरवालों से पता करके पूरी बात पता करो एवं वे क्या चाहते हैं उन्हंे पूछ लो। उन लोगों को कहना था कि हमें तो यह चाहिए कि यह आदमी हमें परेषान न करें और हमारी बेटी की ष्षादी सही से जहां तय हो रखी है वहां हो जाए। मैंने इस बावत गढ़वाल हितैसिणी सभा के अध्यक्ष श्री मनमोहन बुड़ाकोटी एवं श्री उदयराम ढ़ौंड़ियाल जी जो कि उत्तराखण्ड के प्रबुद्ध एवं प्रभावषाली लोग हैं उनकी सलाह पर श्री बृजमोहन उप्रेती जो कि दिल्ली में कांग्रेस के नेता एवं बहुत ही अच्छे समाज सेवक हैं उनसे बात की। सबने मिलकर यह तय किया कि लड़की के पिता पहले सौ नम्बर पर फोन करके पुलिस को इत्तला करें और उसके बाद इस आदमी को थाने में बंद करवाकर सही से मरम्मत करवाई जाए। जब तक मामला नही बनेगा यह उनको परेषान करना बंद नहीं करेगा और वे लोग यों ही परेषान रहंेगे और बाहर से पुलिस या हम लोग कुछ नही कर पायेंगे। तय होने के बाद लड़की के पिता ने सौ नम्बर से पुलिस को काल की और इधर श्री उप्रेती ने थाने में फोनकर दिया। इस बात का असर यह हुआ कि वह व्यक्ति लड़की के घर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उसे थाने लाया गया। लड़की और उनके घरवालों को हमने कहा कि आप सही बता देना कोई कुछ नही करेगा। बाद में पुलिसे ने उसे समझाया और धमकाया भी अन्ततोगत्वा यह हुआ कि उस व्यक्ति से लिखवाकर ले लिया गया और किसी प्रकार से उस परिवार या उस लड़की को किसी भी प्रकार से परेषान करने की सजा सीधे केस बनाकर जेल में ड़ालने की बात बताई गई। पुलिस एवं समाज के प्रभाव से एक अपराधी को सबक तो मिल ही गया लेकिन सबसे अधिक महत्व पूर्ण बात यह है कि जिसकी बेटी की बारात आने में चन्द दिन बचे हों और उसके घर इस प्रकार की बात हों। एक बाहरी आदमी वह भी जिसका अपनी पत्नी से तलाक हो चुका है इस प्रकार से धमकायें और उनकी बेटी की ष्षादी न होने की धमकी दें, उन्हें बदनाम करने की धमकी दे और वह परिवार चुपचाप रहे यह अत्यन्त ही दयनीय हालात है। और इससे अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को ष्षह ही मिलती है।उक्त लड़की एवं उसके परिवार को हर तरफ से निष्चिंत करने के बाद तय दिन उस बच्ची की बारात घर आई वहां हमारे कुछ मित्र जो उनके जाननेवाले थे वे भी ष्षादी में गये हुए थे। सभी ने तय किया था कि उस दिन लड़की के घरवालों को किसी प्रकार की असुविधा या परेषानी उस व्यक्ति की तरफ से न हो। अगर ऐसी कोई बात हो तो वह परिवार या हमारे मित्र तुरन्त हमें सूचित करेंगे और उस आधार पर जो भी होगा किया जायेगा लेकिन इसका पता उस परिवार को नही था। ष्षादी तय समय से सम्पन्न हुई और दुल्हन अपने ससुराल चली गई लेकिन एक बात जो आज भी मुझे अन्दर तक कचोट रही है कि अगर उस लड़की के घरवालों की परेषानी हमें पता नही चलती तो उस बेचारी का क्या होता? न जाने कितनी ही ऐसी अबोध एवं बेगुनाह लड़िकयां इस प्रकार के ष्षैतानों की ज्यादतियों की षिकार होती होगीं जिनकों कोई बचा नही पाता होता। असल में महानगरीय जीवन में लोग इतने व्यस्त एवं आत्मकेन्द्रित हो चुके हैं कि किसी को पड़ोस में क्या हो रहा है पता ही नही चलता। अगर चलता भी है तो दूसरों की बात है हमें क्या लेना देना है। इस तरह की सोच के कारण कई ऐसी बातें, घटनायें हो जाती है जिनको रोका जा सकता था। असल में हमने अपने को इस कदर मषीनी पुर्जा बना दिया है कि हमें कुछ न तो दिखता है और न किसी का दुख-सुख ही दिखाई देता है। हम व्यक्तिगत स्तर पर तो उन्नति कर रहे हैं लेकिन जिस समाज और परिवेष ने हमें इस काबिल बनाया उसकी अवहेलना हम सिद्दत से करते है। जब कि हमारा थोड़ा सा सामुहिक प्रयास या साहस कई लाचार एवं जरूरतमंद लोगों को सम्बल दे सकता है। काष हमारे समाज में फिर से वही जज्बा और एक दूसरे के काम आ पाने की ललक फिर से दिखती ताकि फिर से न कोई अपराध होता और न लाचार एवं अबोध ही किसी की कुंठा का षिकार बनते। काष! हम एक दूसरे े काम आ सकते और अपने साथ -साथ अपने समाज का भी कुछ सहयोग कर पाते। काश! ऐसा हो पाता। और हमारे लोगों में बुराई और बुरे लोगों से लोहा लेने का साहस जाग पाता।

1 comment:

  1. aapne samaj ke darpan banne ka kaam kiya hai...hota hai aisa bhi..jo gunaah ladki ne na kiya ho uski sazaa use milti hai...
    ab jaise is ladki ke sath aap aur ghar wale they lekin kai baar ghar wale bhi aise mamle me us ladki ko dosh dene lagte hai...ki iska bhi kuch hath hoga jabki chahe aisa bilkul na ho...
    magar aise prakran me ladki bechari sazaa bhugati hai sharirik avam mansik star par
    acha lekhan hai apka

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