दुनिया के इस बड़े हाट में
कोई तो बस भाव मांगता
कोई प्रेम, स्नेह अरू पूजा
कोई खाली बाट नापता।
भाव सजे हैं पेzम राग भी
स्ंाबधों की ड़ोर अड़िग है
कुछ किस्में हैं बहुत निराली
जिनमें त्याग सपर्मण भी है।
नैतिकता की परिभाषा है
दीन, ईमान, कर्तव्य, दया है
जो चाहो सो पा सकते है
चाह तुम्हारी सब मिलता है।
धूर्त, छलावा, चोरी, ड़ाकणा
इनकी भी तो कमी नही है
इसका लूटा उसका खसोटा
छद~म दिखावा बहुत भरा है।
नैतिकता अरू दुश्चरित्रता
पतन, पातकी, धोखा भी
बहुत संभलकर परख है करनी
पग-पग में ही ठग बैठे हैं।
मांग तुम्हारी, चाह तुम्हारी
जो चाहो सो ही मिलता है
जैसा मन में भाव बनेंगे
तैसा ही तो जग दिखता है।।
25,फरवरी, 2011
कोई तो बस भाव मांगता
कोई प्रेम, स्नेह अरू पूजा
कोई खाली बाट नापता।
भाव सजे हैं पेzम राग भी
स्ंाबधों की ड़ोर अड़िग है
कुछ किस्में हैं बहुत निराली
जिनमें त्याग सपर्मण भी है।
नैतिकता की परिभाषा है
दीन, ईमान, कर्तव्य, दया है
जो चाहो सो पा सकते है
चाह तुम्हारी सब मिलता है।
धूर्त, छलावा, चोरी, ड़ाकणा
इनकी भी तो कमी नही है
इसका लूटा उसका खसोटा
छद~म दिखावा बहुत भरा है।
नैतिकता अरू दुश्चरित्रता
पतन, पातकी, धोखा भी
बहुत संभलकर परख है करनी
पग-पग में ही ठग बैठे हैं।
मांग तुम्हारी, चाह तुम्हारी
जो चाहो सो ही मिलता है
जैसा मन में भाव बनेंगे
तैसा ही तो जग दिखता है।।
25,फरवरी, 2011
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