कभी अपनी लगती
कभी लगती परायी
कभी कच्ची अमिया
कभी फूल सी अमराई.
कभी ख्वाब लगती
कभी हकीकत से बात
कभी रूखे भाव और
कभी सच होते जज्बात.
कभी दिल के पास
कभी जीवन से दूर
कभी खुश मिजाज
कभी बेहद उदास
कभी रेत के लिखावट
कभी सपनों की सजावट
कभी अवनि लगे सुन्दर
कभी बेहद अकुलाहट.... ध्यानी. ७ जून, २०११.
कभी लगती परायी
कभी कच्ची अमिया
कभी फूल सी अमराई.
कभी ख्वाब लगती
कभी हकीकत से बात
कभी रूखे भाव और
कभी सच होते जज्बात.
कभी दिल के पास
कभी जीवन से दूर
कभी खुश मिजाज
कभी बेहद उदास
कभी रेत के लिखावट
कभी सपनों की सजावट
कभी अवनि लगे सुन्दर
कभी बेहद अकुलाहट.... ध्यानी. ७ जून, २०११.
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