पाकर पिय का संग
रंगा हूं रंग में अब
फाग का राग सुरीला
बासंती में लबालब।
पिचकारी जो मारी
पिय अपनेपन की
मस्ती में पुलकित
तन-मन उल्लसित।
रंग रंगा है तन मन
भीग रहा है गात
संग तुम्हारा मिला
अहम यह बात?
नदिया, नाले, पर्वत
दरिया सब अति भाते
नेह थाप पा अवनि
सभी हैं भाव जगाते।
तुम संग पीकर भंाग
प्रेम की चूनर ओढ़ी
होली की मस्ती में
मन की गाठरी खोली।
इस होली में बहुत
भाव हैं हमने संजोये
मन करता है सदा
नेह की होली खेलें।
रंगे रहे हर भाव तुम्हारे
स्वपन सजीले होवें
होली का त्यौहार सभी
के उर में ओजस घोले।।
17/3/11, at. 3:22 pm.
रंगा हूं रंग में अब
फाग का राग सुरीला
बासंती में लबालब।
पिचकारी जो मारी
पिय अपनेपन की
मस्ती में पुलकित
तन-मन उल्लसित।
रंग रंगा है तन मन
भीग रहा है गात
संग तुम्हारा मिला
अहम यह बात?
नदिया, नाले, पर्वत
दरिया सब अति भाते
नेह थाप पा अवनि
सभी हैं भाव जगाते।
तुम संग पीकर भंाग
प्रेम की चूनर ओढ़ी
होली की मस्ती में
मन की गाठरी खोली।
इस होली में बहुत
भाव हैं हमने संजोये
मन करता है सदा
नेह की होली खेलें।
रंगे रहे हर भाव तुम्हारे
स्वपन सजीले होवें
होली का त्यौहार सभी
के उर में ओजस घोले।।
17/3/11, at. 3:22 pm.
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