2.
सामने पहाड़ था
झील में दिखता अक्ष
जैसे मेरे दिल में
मेरी अवनि की मूरत.
शंकराचार्य मंदिर की
घंटी सुनाई देती
अवनि बिन बाकी
बहुत ही सुनसान.
घूमा भी, देखा भी
मगर सच मानो
तुम बिन कुछ भी
सुहाता नहीं था.
तुम तन में
तुम जीवन में
तुम ही मेरी अवनि
मेरे मन अन्तश में....ध्यानी ... २२ जून, २०११.
सामने पहाड़ था
झील में दिखता अक्ष
जैसे मेरे दिल में
मेरी अवनि की मूरत.
शंकराचार्य मंदिर की
घंटी सुनाई देती
अवनि बिन बाकी
बहुत ही सुनसान.
घूमा भी, देखा भी
मगर सच मानो
तुम बिन कुछ भी
सुहाता नहीं था.
तुम तन में
तुम जीवन में
तुम ही मेरी अवनि
मेरे मन अन्तश में....ध्यानी ... २२ जून, २०११.
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