फर्क
तुम में और मुझे में
क्या फर्क है?
जब हम तुम
अवनि! कष्ट में होते हैं...
तुम चुप रहकर
सब सह लेती हो
और मैं
बेचैन होकर
वेदना को मुखर कर
आकार देता हूँ
वाणी से प्रकट करता हूँ.
तुम चुप क्यों रहती हो..
सुनो अवनि! इतना दर्द
कसे सहती हो...ध्यानी....३० अप्रैल, २०१३.
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