तटस्थ रहना अब
मुनासिब नही
कुछ कहना भी
तो ठीक नही।
हमारी बातों को
किस तरह से लेते हैं
अनुमान लगाना
आसां तो नही।
उनकी सोच और
दायरे उनके
मुश्किल तो नही।
औरों की क्या कहें
हम तो अपनी जानें
हम तो उनको ही
अपना मानें
वे माने या न मानें
ये जरूरी तो नही।
2 मई, 2011.
मुनासिब नही
कुछ कहना भी
तो ठीक नही।
हमारी बातों को
किस तरह से लेते हैं
अनुमान लगाना
आसां तो नही।
उनकी सोच और
दायरे उनके
हमारी परधि में हैं
कि नही ये समझनामुश्किल तो नही।
औरों की क्या कहें
हम तो अपनी जानें
हम तो उनको ही
अपना मानें
वे माने या न मानें
ये जरूरी तो नही।
2 मई, 2011.
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