विचार प्रवाह
विचारों के प्रवाह को रूकने न दो
देह को अपनी थकने न दो
अभी तो कदम बढ़े है राह में
हिय की अगन को बुझने न दो।
मिसाल बनानी है तो ड़र कैसा
इतिहास बनाना है तो वहम कैसा
बात को सिद~दत से रखो तुम
शर्मायेदारों से घबराना कैसा?
ठाना तो उत्तराखण्ड बनाया
गैरसैंण अब बारी समय है आया
जरा अपनी ताकत का इल्म करो
समय ने फिर तुम्हें है पुकारा।
समय की धारा में निर्भय बढ़ो
ग्ंागा-जमुना मुल्क के वाशिंदे हो
समय बाट जोहता है तुम्हारी
बस जरा तुम अड़िग तो रहो।.... ध्यानी. 30 मई, 2011.
विचारों के प्रवाह को रूकने न दो
देह को अपनी थकने न दो
अभी तो कदम बढ़े है राह में
हिय की अगन को बुझने न दो।
मिसाल बनानी है तो ड़र कैसा
इतिहास बनाना है तो वहम कैसा
बात को सिद~दत से रखो तुम
शर्मायेदारों से घबराना कैसा?
ठाना तो उत्तराखण्ड बनाया
गैरसैंण अब बारी समय है आया
जरा अपनी ताकत का इल्म करो
समय ने फिर तुम्हें है पुकारा।
समय की धारा में निर्भय बढ़ो
ग्ंागा-जमुना मुल्क के वाशिंदे हो
समय बाट जोहता है तुम्हारी
बस जरा तुम अड़िग तो रहो।.... ध्यानी. 30 मई, 2011.
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