आज अचानक इन आँखों ने
नमी और गीलापन ओढा
बिन बोले ही समझ गया तब
तेरी याद में हिय था डोला.
आज बहुत कुछ बोल गए ये
नयनों से झरते निर्झर सब
समझ सको इन की भाषा को
अवनि! बिकल अंतस अरु चितवन.
४ मई, २०११.
नमी और गीलापन ओढा
बिन बोले ही समझ गया तब
तेरी याद में हिय था डोला.
आज बहुत कुछ बोल गए ये
नयनों से झरते निर्झर सब
समझ सको इन की भाषा को
अवनि! बिकल अंतस अरु चितवन.
४ मई, २०११.
Bahut hi achhi rachna, padhna bhaya.
ReplyDeleteshubhkamnayen