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Wednesday, May 1, 2013


दिनेश ध्यानी की हिन्दी कहानियां।

1
लाटी

दिनेश ध्यानी

आकाश बाबू दफ~तर पहुंचकर जैसे ही कुर्सी पर बैठे सबसे पहले दीवार पर उनकी नजर ठिठकी और वे अपनी कुर्सी से उठ खडे हो गये, अरे आज तो एक मई है और उन्हौंने तुरंत फोन अठाया और नम्बर मिलाया, लेकिन देर तक घंटी जाने के बाद भी उधर से किसी ने जवाब नही दिया। धत आज भी फोन नही उठा रहे हो? कम से कम आज तो फोन उठाओ लाटी प्लीज भगवान के लिए ही सही आकाश बाबू मन में बुदबुदा रहे थे, उधर से रिकार्डेड आवाज आई कि अभी आपकी काWल का उत्तर नही मिल रहा है कृपया थोडी देर बाद फोन करें। आकाश बाबू ने फिर फोन मिलाया लेकिन घंटी बजने के आलाव कुछ उत्तर नही मिला। 
आकाश बाबू ने एक गहरी सांस ली और पुरानी यादों में खो गये। आंख बंद करके आकाश बाबू सोचने लगे किसी सही कहा है कि समय बलवान होता है आदमी नही। अगर हम बलवान होते तो समय और हालात को अपने हिसाब से ढाल सकते थे लेकिन सच तो यही है कि हमारे हाथ में कुछ भी नही है। अगर ऐसा नही होता तो मेरी लाटी इतने दिनों तक यों नाराज नही रहती। आकाश बाबू लग रहा था कि अवनि का उनके जीवन में आना जैसे कल ही की बात होगी। वे बीते दिनों की माला को पिरोते हुए उन पलों में खो गये जो उन्हौंने और अवनि ने संग -संग बिताये थे आ।र उन पल और यादें आकाश बाबू को  अन्दर से कचोट रही थीं। वै खुद को कोस रहे थे कि किस कारण उन्हौंने अपनी लाटी को नाराज किया। उनकी अवनि जिसे आकाश बाबू प्यार से लाटी करकर बुलाते वह बहुत ही सभ्य और सुस्कृंत लड़की है। इतनी पढीलिखी होने के बाद भी उसमें जरा भी दंभ नही किसी प्रकार की अकड़ या घमंड नही। सादगी इतनी कि घर से बाजार और बाजार से घर बस उन्हें कपड़ों में आना जाना हो जाता लेकिन किसी प्रकार का दिखावा और पहनावे का शौक नही। इन्हंी गुणों के कारण आकाश बाबू उनपर मर मिटते हैं।  उन दोनों ने जीवनभर एक दूसरे का साथ देने की कसमंें खाई थाीं लेकिन न जाने क्या हुआ कि उनकी लाटी विलग हो गई।  कई बार लाटी ने आकाश बाबू से कहा भी था कि देख लेना अगर जीवन में कभी कुछ अलगाव आया तो तुम ही मुझे छोड़ जाओगे लेकिन मैं तुम्हें किसी भी हालात में नही छोड़ने वाली और उसकी यही बात आकाश को अन्दर से आत्म विश्वास और हर्ष से भर देती थी लेकिन वही लाटी आज दूर सी है। 
आकाश बाबू पुरानी यादों में खोये हुए थे कि अचानक कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज के साथ  ही कुर्सी पर संभल कर बैठ गये। सामने उनका दोस्त शेखर था। आकाश बाबू को यों उदास और अस्तब्यस्त देखकर शेखर को समझते उसे देर नही लगी कि महाशय आज फिर किसी उलझन में हैं। शेखर को बैठने का इशारा करते हुए आकाश बाबू ने अपनी बzीफकेस खोलकर उसमें से जरूरी कागजात निकाले और फिर उन्हें टटोलने का जतन करने लगे।
 शेखर ने कहा क्या बात है आकाश आज कुछ उदास से लग रहे हो?
कुछ नहीं यार बस यों ही। आकाश ने बात को टालने के अंदाज में कहा।
शेखर ने कहा, कुछ तो बात है जिसे महाशय छुपा रहे हैं, आपका ये मुरझाया हुआ चेहरा और हुलिया को कुछ और ही कहानी कह रहा है। जानते हो कोई अपने मन की बातों को कितना भी छुपाने की नाकाम कोशिश क्यों न करे लेकिन चेहरा सबकुछ बता देता है। कहा भी गया है ना कि फेस इज द स्केच आफ माWइंड। 
हां तुम सही कह रहे हो भाई। लम्बी सी सांस छोडते हुए आकाश ने कहा।
शेखर ने कहा, फिर बता क्या बात है अगर अपनी परेशानी मुझे नही बतायेगा तो किसे बतायेगा। वैसे भी दिल की बात को अन्दर ही अन्दर छुपाकर नहीं रखना चाहिए। बात अच्छी हो या बुरा उसे शेयर करना चाहिए, नही तो शरीर के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
आकाश ने कहा क्या कहूं यार शेखर जीवन भी अजीब पहेली है। जानता है जीवन के इतने वसंत बीतने के बाद मुझे मेरी लाटी मिली थी और उसको पाकर समझा था कि मुझे मेरे मन का मीत मिल गया है और सच भी यही है। शेखर मैं धन्य हूं जो मुझे मेरी लाटी मिली। जानता है वह एक आम इसांन नही देवात्मा है और उसका सान्निध्य पाकर मैं धन्य हो गया हूं। शेखर मुझे जीवन में मेरी मां के बाद अगर किसी महिला ने इतना प्रभावित किया तो वह है मेरी लाटी। मेरी मां ने तो मुझे जीवन दिया और मेरी लाटी ने मुझे जीना सिखाया। मुझ जैसे अनगढ इसंान को जीवन के उजास  से भर दिया मेरी लाटी ने। शेखर जब से मेरे जीवन में मेरी लाटी आई है तब से हर काम बनता गया और कभी भी किसी संकट या परेशानी में रहा तो लाटी का संबल और उनका आत्म विश्वास और सही सलास से मैंने अपने को सुरक्षित किया और सफल रहा। इतने बडे घर की बेटी और इतनी संस्कारित लडकी मुझ जैसे अनगढ को मिली यह मेरा सौभाग्य तो है ही किसी जन्म के पुण्य के प्रताप से मैंने उसे पाया होगा नहीं तो मैं उसके चरणरज के बराबर भी नहीं हूं।
शेखर आकाश की बातें ध्यान से सुन रहा था। जब उसने देखा कि आकाश अधिक भावुक होने लगा है तो उसने बीच में ही टोकते हुए कहा कि अच्छा अब रहने दे अधिक तारीफ न कर अपनी लाटी की और सीधे मुद~दे की बात कर हुआ क्या है?
आकाश ने टेबल से पानी का गिलास उठाया और दो घूंट पानी पीने के बाद बोला यार देख ना आज एक मई है और मेरी लाटी पिछले इक्कीस अपैzल से फोन ही नहीं पिक कर रही है। आज का दिन हमारे जीवन में कितना अहम दिन था। सोचा था इस दिन खूब बात करेंगे और एक दूसरे के हाल जानेंगे लेकिन यार न जाने क्यों नाराज है जितना भी फोन करता हूं बस उठाती ही नही। 
बेटा तूने कुछ उलटा सीधा किया होगा। फिर कर दी होगी कुछ करतूत। शेखर ने आकाश के चेहरे पर उभरते बिखरते भावों को पढने की कोशिश करते हुए कहा।
हां, शेखर एक गलती हो गई है मुझसे लेकिन इस पर लाटी को इतना कठोर कदम तो नही उठाना चाहिए था। कम से कम एक बार मुझसे पूछ तो लेती कि क्या बात है? लेकिन मेरा पक्ष जाने बिना ही फोन उठाने बंद कर दिया और बात मुझे फसेबुक से अनफैzड भी कर दिया।
अच्छा तो ये बात है। शेखर ने कहा।
हां यार हुआ यूं कि किसी फैzड ने मेरी वाल पर पोस्ट की एक कविता और मुझे कहा कि आप इसे शेयर करो और वा मैंने अपनी वाWल में शेयर कर दी थी। जानता है न चाहते हुए भी शेयर करना पड़ा कि उसे बुरा न लगे इसलिए मना नही कर पाया और इस बात को लाटी गलत अर्थ में समझ बैठी और तभी से चुप है। मैंने उसे भी हटा दिया है और अब जीवन में ऐसी गलती न करने की कमस खाता हूं लेकिन मेरी लाटी कैसे मानेगी बता न अब मैं क्या करूं?
तूने क्या करना है अब। तू कर चुका जो तूने करना था अब तो बेटा वही करेगी। पागल कहीं का समझता भी नही। आये दिन पंगे लेता रहता है। 
आकाश कुर्सी पर आंखें बंद कुर्सी में बैठ गया। उसे अपनी देह में गरमी का अहसास हुआ, बांह का बटन खोलते हुए वह सोचने लगा कि वो दिन भी क्या दिन थे जब वह अवनि से मिला था। कैसे उनकी दोस्ती हुई थी पूरे तीन साल हो गये हैं उनकी दोस्ती को लेकिन कभी ऐसा नही हुआ। इतनी लम्बी चुप्पी दोनों के दरमियां कभी नही रही। आज भी लाटी की हर बात आकश के जेहन में ताजा थी ये सब बातें और यादें  आकाश के मन में एक टीस सी उठ जाती । उसे समझ नहीं आता कि मेरी लाटी को आज हो क्या गया जो इस प्रकार से एकदम चुप है। उसे इस बात का  बहुत मलाल था कि अगर उसकी लाटी ने इसी बात पर चुप्पी साध ली है तो यह तो किसी प्रकार से उचित नही। वह जानता है कि जब से उसे अवनि मिली तब से उसने किसी के बारे में कुछ सोचा तक नही। मन के अंदर पीड़ा बढती जा रही थी। वह रात को सुबह होने का इंतजार करता कि शायद सुबह बात होगी और सुबह होते जब बात नहीं होती तो दिन का इंतजार रहता और दिन में भी नही होती तो शाम का इंतजार रहता। आकाश जानता था कि उन दोनों की बात अक्सर तब होती थी उसी हिसाब से आकाश काWल करता लेकिन उधर से कोई जवाब न पाने के कारण उसकी पीडा और बढ जाती।
शेखर ने कहा अब रोने धोन से कुछ नही होता। बडे बूढों ने कहा है कि जो बात तुम्हारे बस में नही हो उसे समय पर छोड देना चाहिए। समय सबका हिसाब करता है और अगर तू सच्चा है तो फिर घबराता क्यों हैं? रिश्तों में कभी कभी गलतफहमी हो जाती है कहा भी गया है कि अक्सर कभी कभी जो दिखता है वह होता नही है। इसलिए प्रयास जारी रख और अपनी नियत और नियति को सही करने का प्रयास कर। कहते हुए शेखर हंसने लगा लेकिन आकाश की हालात देखकर वह अंदर से हिल सा गया। इससे पहले उसने आकाश को इस प्रकार चिंता में कभी नही देखा। कभी कभार जो भी परेशानी आई हो आकाश मुस्कराता और उसका सामना डटकर करता था। शेखर को याद है कि इन दोनों की बातचीत पहले भी कई बार बंद होती रहती थी लेकिन ऐसा परेशान कभी नही देखा आकाश को। वह सोचने लगा कि क्या किया जाए? 
शेखर जानता है कि आकाश जल्दबाज है, गुस्सेवाला है और कुछ भी करने से पहले सोचता ही नही और तभी अक्सर विवादों में घिर जाता है लेकिन आज जो समस्या है वह कुछ कठिन है पूरे दस दिन हो गये हैं इन दोनों को बात किये हुए लेकिन क्या किया जाये?
शेखर ने कहा, जीवन में अक्सर ऐसा हो जाता है अपना साया भी हमसे नाराज हो जाता है। लेकिन हर बात को टंेशन और आपसी रिश्तों को दांव पर लगाकर नही लेना चाहिए। गलती किसी से भी हो सकती है या गलत फहमी कहीं भी हो सकती है लेकिन समझदारी और एक दूसरे पर विश्वास ही हमारे रिश्तों की नींव को मजबूत करते हैं लेकिन आकाश तुम इतने बडे+ हो गये हो कुछ करने से पहले सोचते क्यों नही हो? कम से कम अक्ल से काम तो लिया करों विशेषकर इस प्रकार के मामलों में संभलकर चला करो। 
आकाश शेखर की बात को गौर से सुन रहा था। उसे भी लगा कि लाटी अगर सच में नाराज हो गई तो उसका क्या होगा? ये सोचते ही उसका सर चकराने लगा, आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और शरीर में कंपकपी सी होने लगी। सामने बैठा शेखर उसकी भावभंगिमा को समझ रहा था। शेखर ने कहा अरे पगले इतना परेशान मत हो। जैसा तूने बताया है अपनी उस लाटी के बारे में तो आई एम स्योर कि वो लडकी तुझे नही छोडेगी। वैसे भी ते दिखने में फुद~दू जरूर है लेकिन भाई तू भी हीरो है और अपने फन मे माहिर है और दिल से ईमानदार है तू। तेरी एक कमी यह है कि जो होता है साफ बता देगा और किसी क्या कहना है किसी क्या नही बताना उस बारे में नहीं सोचता यही तेरी परेशानी का कारण है। तू ने क्या सोचा कि जिसकी पोस्ट शेयर कर रहा है उसे नाराज नही करना और जो तेरे साथ अपना जीवन शेयर हर रही है इतने दिनों से तेरे सुख दुख में तुझसे बढकर तेरा साथ दे रही है उसके बारे में तुझे ध्यान नही रहा क्यों? एक तरफ अपनी लाटी को नाराज कर दिया दूसरी तरफ उसकी पोस्ट भी हटा दी है और उस दोस्त को भी डिलीट कर दिया है। तुझ जैसे ही लोगों के लिए तो यह कहावत चरितार्थ है कि न खुदा मिला न बिसाले सनम। लेकिन तू समझेगा नही। अब तेरे पास यही चारा है कि बेटा अपनी लाटी की भक्ति में लग जा और बस दुवा कर सब ठीक होगा।
आकाश को शेखर की बातों से काफी राहत मिली। उसने कहा सच शेखर मेरी लाटी वापस आ जायेगी?
शेखर ने कहा अरे पगले वो गई ही कहां थी जो आयेगी। रिश्तों मेें कभी कभार गलती का अहसास जताने के लिए कभी मौन भी धारण करना पडता है। बस अपनी आदतों को सुधार भगवान ने चाहा तो सब ठीक होगा। अच्छा अब मैं चलता हूं काफी काम पड़ा है पूरा दो  घंटा तेरे साथ तेरी लाटी के बारे में बतियाते बीत गया। 
शेखर कुर्सी से उठा और जैसा बाहर जाने के लिए मुडा आकाश ने कहा शेखर क्या सच मेरी लाटी लौट आयेगी?
शेखर ने हां में सिर हिलाते हुए हौले से मुस्काराते हुए कहा अरे पागले तू दिल का इतना भोला है कि सच वो तुझे छोड़ ही नही सकती लेकिन तू उसे परेशान करता है इसलिए तुझे सुधारना भी जरूरी है। देखना जल्द ही तेरी समस्या का हैप्पी ऐंड होगा। जैसे ही शेखर दरवाजे की तरफ बढा मेज पर रखा आकाश का मोबाईल बज उठा। शेखर ने मोबाईल उठाया तो उसकी खुशी का ठिकाना ही न रहा। शेखर ने पूछा किसका फोन है?
आकाश ने कहा लाटी...। और कहते हुए उसके आंखो से आंसू टपकने लगे। शेखन ने वापस आकर आकाश के कंधे पर हाथ रखते हुए हौले से उसके कान में कहा पगले पहले बात कर आंसू फिर बहाना नही तो तेरी लाटी फिर से नाराज हो जायेगीं। इतना कहते हुए शेखर कमरे से बाहर चला गया और आकाश अपनी लाटी से बात करने लगा।।