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Sunday, August 11, 2013






हे निरसु निरदै विधाता मिन नि जाणी
घर बौडू नि होणू हमरू यनु नि जाणीं।

सौ सला, कौ करार कैकी  गै त छां हम जातरा म
यखी जुगा ह~वै जाण हमुन यनु नि जाणीं। हे निरसु....

बाबा केदारा का थान मौत यनु तांडव मचाणी
आखरी जातरा च हमरि यन्नु नि जाणीं। हे निरसु....

मौ कि मत ह~वै गैंन घडी मा जिन्दग्यों कु अन्त यख
समळणा कु मौक बि नि मिलणू, यनु नि जाणी। हे निरसु....


आस अर वि”वास अपणू, मन म  रैंगेन स्याणी गांणी
इनु बिजोग प्वडण हमु खुणि यन्नु नि जाणीं। हे निरसु...
             


Wednesday, August 7, 2013

जीवन का हर रंग तुम्ही से
सब भावों का संग तुम्ही से
तुम से सुख कि धरा सजी है
अवनि मेरी पहचान तुम्ही से...ध्यानी. ८/८/१३.