
छाया टटोली,
उसमे मुझे
तुम्हारा अक्ष नजर आया.
जानती हो पहले तो मैं
घबरा गया मगर
फिर मुझे याद आया...
की तुम और मैं
एक ही तो हैं.
तुम अब मुझसे अलग कैसे?
अब मेरी पहचान तुम ही से हैं
बस ये ध्यान आते ही
अनु की अनुपम छबी
मन मंदिर में और भी
गहरी समां गई.
जेसे गंगा के गुव्हर में
आस्था की डुबकी लगाकरहमारा बिस्वास गहरा जाता है|
sahi baat hai pyar me do dil alag nahi balki ek ho jate hai.
ReplyDeletebahut khoobsurat bhav .
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