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Monday, July 26, 2010

तुम बिन जीवन कैसा?




भाव बिना
भवसागर कैसा?
नेह बिना स्नेही कैसा?
रीती बिना निति कैसी?
प्रेम बिना प्रीत कैसी?
दिया बिना बाती कैसी?
माटी बिना थाती कैसी?
लय बिना छंद कैसा?
पिया बिना प्रियतम कैसा?
बोध बिना ज्ञान कैसा?
लक्ष्य भीना पंथ कैसा?
तुम बिना मै कैसा?
दिया बिन बाती जैसा?
सुनो!
तुम अनुपम मै! उपमा तुम्हारी
तुम बिन सच अब जीवन कैसा?
तुम बिन कैसे दिन और रैना? तुम बिन एक पल नहीं चैना.....ध्यानी

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