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Monday, July 26, 2010


गंगा है जीवन की सरिता


गंगा है जीवन की सरिता
संस्कारों की थाती है
सबके पाप ये धोती रहती
जीवन सबको देती हैं.
मर्यादा अरु बिस्वासों की
सरिता भी ये गंगा है
इसकी लहरों में तुम देखो
जीवन रस भी बहता है.
गंगा का उद्गम है जहाँ पर
वह धरती स्वर्ग कहाती है
ऋषि मुनियों कि धरती है वो
शिव का वास वहीँ पर है.
राम और पांडव भी आकर
पुण्य जहां पर पाते हैं
ये वो धरती है जहाँ पर
पापी भी तार जाते हैं.
अनुपम गाथा इस धरती की
कण कण में ईस्वर का वास
आकर देखो इसकी महिमा
तब होगा तुमको बिस्वास |

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