Pages

Tuesday, July 9, 2013

इंतजार


दिनेश ध्यानी
2.

अजीब बात है ना जब इंसान के दिन अच्छे होते हैं तो वह बुरे समय की कल्पना भी नही करता और जब उसका बुरा समय आता है तो वह अच्छे दिनों की याद कर फिर से उन दिनों को उन पलों को पाने के लिए तड़प जाता है। और यह तड़प उसे बचैन करती रहती है। बीता पल और उसकी यादें इंसान को सदैव कचोटती रहती हैं। शायद ही माया मोह है।
आकाश बाबू भी तो इंसान ही हैं, वै भला जीवन की उदासी, आशा, अभिलाषा से कैसे दूर रह सकते हैं। यदाकदा जो भी घटता उसका असर उनके मन, चित्त और भाव विचारों पर पडता ही है।
आकाश बाबू को याद है कि+  आज पूरे अस्सी दिन होने को हैं तब से उनकी बात अपनी जीवनसंगिनी से नही हो पाई है। आकाश बाबू ने तो हर तरह से कोशिश की लेकिन उनकी जीवनसंगिनी ने न तो उनकी बात का उत्तर दिया न फोन उठाया और न कुछ कहा। आखरी अल्फाज आज भी आकाश बाबू के कानों में गूंजते रहते हैं जब उनकी जीवन संगिनी ने यह कहकर कि अभी मेरे पास बहुत काम है सब्जी चढानी है और खाना बनाना है, बस इतना कहने के बाद फोन काट दिया और लाख कोशिश करने के बाद भी आज तक आकाश बाबू का फोन रिसीब नहीं किया।
असल में जो आकाश बाबू को लगता है कि उनकी जीवनसंगिनी क्यों उनसे खफा हो गई इसका कारण शायद यह हो सकता है कि उनकी जीवन संगिनी को लगता हो कि आकाश बाबू किसी अन्य के साथ अपने विचार और चीजें शेयर क्यों करते हैं वो भी फेसबुक पर। लेकिन आकाश बाबू ने कभी भी इन बातों को इतना महत्व नही दिया। आज के युग में जो हमारे पास है हमारा अपना है वह अपना है। और बाहरी दुनियां में या यों कहें कि साधनों की भीड़ में जरा सी असवाधानी से इस प्रकार की श्ंाका और संशय उपजना आज की पीढी और किसी न किसी रूप में व्यवस्था की रवायत का भी असर है। लेकिन फिर भी संबधों और अपनत्व की नींव, बेल इतनी कमजोर क्योंकर हो जाती है कि जीवन मरण का संबध और कमसें ,रसमें और समर्पण सब जरा सी बात पर खतरे की जद में आ जाते हैं?
पहले पहल तो आकाश बाबू ने सोचा शायद थोड़ा बहुत गुस्सा होंगी लेकिन जैसे-जैसे दिन बढते गये आकाश बाबू को दिल उसी तरह बचैनी और अनिष्ठ की आशंका से भयभीत रहने लगा। पहले तो रातों की नींद और खाना खराब हो रखा था लेकिन अब ताक उनका अन्तस और मन इतनी वेदना में है कि क्या कहें। लेकिन आकाश बाबू को आज भी उम्मीद है कि उनकी जीवनसंगिनी ऐसी कभी नही हो सकती कि उनसे बात ही न करे।
आज आकाश बाबू को सबसे अधिक जो बात परेशान कर रही है वह यह कि उनकी संगिनी किस बात से खफा हैं इसका पता भी नही उनको। जो वे कयास लगा रहे हैं उनसे ऐसा आभास नही होता कि कोई भी इंसान जीवनभर का रिश्ता और जन्म जन्मांतर का संबध यों ही एक ही झटके से तोड़ देता हो जैसे उत्तराखण्ड में आई तबाही ने नदियों पर बने पुलों को ओर छोर से तहसनहस कर दिया।
कोई कुछ भी कहे लेकिन जीवन में बहुत कम अवसर और बहुत कम इंसान ऐसे होते हैं जो आपके जीवन पर अमिट छाप छोड देते हैं। यही बात आकाश बाबू के साथ थी उनके जीवन में जब से उनकी जीवन संगिनी आईं थी तब से उनका जीवन, जीवन की परिभाषा और दिशा दशा ही बदल गई थी। उनको हर विपदा और परेशानी में सदा ही उनकी जीवनसंगिनी ने ढाल बनकर तारा, जो भी मौका आया हो हरदम उनका हमसाया बनकर खडी रही। अपनी भूख, प्यास और अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। आकाश बाबू का नाम हो उनका अच्छा काम हो इस बारे में उनकी जीवनसंगिनी सदा ही कोशिश और उनको मार्गदर्शन करती रहती थीं। हर पल और पल-पल में जीवन में जो भी घटित हो रहा हो दोनों शेयर करते और उसपर आगे का मार्ग प्रशस्त करने हेतु विचार करते थे। दोनों को एक दूजे पर खुद से अधिक विश्वास और आत्मीयता थी, दोनों एक दूसरे पर जान छिडकत थे लेकिन आकाश बाबू परऐसा क्या हो गया कि आकाश बाबू से उनकी जीवनसंगिनीरूपी उनका जीवन ही छिन गया?
जीवन में कुछ ऐसा होता रहता है कि आपस में विचार न मिलें। कभी कभी हमें एक दूसरे पर संशय और विश्वास भी डिगने लगता है लेकिन असल में हमारे एक दूसरे के प्रति जो भाव हैं, जो विचार और संबध की जो नींव है वह इतनी कमजोर क्यों हो जाती है कि जरा सी बात पर जीवन ही बदल जाता है? अपनी जीवनसंगिनी को आकाश बाबू हरदम अपने दिल में बसाते हैं और उनका रास्ता आज भी तन्मयता से देख रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि जरूर उनकी जीवनसंगिनी लौटेगी और तब फिर से उनके जीवन मे बहार आ जायेंगी।
आकाश बाबू की जीवनसंगिनी जैसा कि आकाश बाबू का कहना है दुनियां की अकेली ऐसी महिला है जो दूसरों के दुख को देखकर भी अपनी आंखें गीली कर देती हैं लेकिन उनके मन में आकाश बाबू के प्रति इस प्रकार की विरक्ति कैसे उपज गई कि तीन महीने होने को आये लेकिन पलटकर खबर तक नही ली? आखिर ऐसा क्या हो गया कि उन्हौंने जरा सी भी सुध नही ली। आकाश बाबू से जब इस बारे में पूछा तो वे बोले।
भाई हम तो आज भी अपनी जीवनसंगिनी के ही प्रताप से और उनकी प्रेरणा से चल रहे हैं। जीवन का कोई भी पल ऐसा नही गुजरा जिसमें हमारी जीवनसंगिनी हमारे अन्तस में रचीबसी न रही हों। असल बात तो यह है कि हमारी जीवनसंगिनी हमारे अन्तस में गंगा के समान हमेशा हमारी धमनियों में बहती रहती हैं और हमारे चित्त को हमेशा जगाती रहती हैं। सचकहूं तो हमारी जीवन संगिनी सदैव हमारे साथ हमारे पास रहती हैं। पूजा में वे मेरी आरजू हैं, तपस्या में मेरी शक्ति हैं और जीवन के संघर्ष में मेरी प्रेरणा और ताकत हैं। हां जरा उनके दूरे होने का रंज तो है, मन खराब और जीवन ऐसे लग रहा है जैसे सिर्फ जीवन चल रहा है जी नही रहा हूं लेकिन फिर भी उम्मीद है कि मेरा जीवन वापस लौटेगा, मुझे हर पल अपनी जीवनसंगिनी को इंतजार रहता है। सुबह दिन होने का दिन में शाम होने का और शाम को रात होने का कि कभी न कभी मेरी जीवन संगिनी का संदेशा आयेगा, कीाी न कभी मेरे फोन पर उनकी काWल आयेगी, और जब रात गहरा जाती है तो मन उस स्याह रात से अधिक उदास और व्याकुल हो जाता है और सच मानों को सोता भी उन्हीं के ख्वाबों के साथ हूं और जागता भी उनकी यादों और उनकी खैरियत के साथ ही हंू। पूजा करते हुए उनकी सलामती की दुवा करता हूं और संकट में उनकी बातों, सहारे और उनके आत्मबल के भरोसे हर संकट और परस्थिति से उबरने के कोशिश करता हूं। बाकी बाबा विश्वनाथ जी पर पूरा भरोसा है कि मेरे जीवनसंगिनी के लौट आने से फिर से मेरे जीवन में बहार आयेगी। इसी उम्मीद से जीवन कट रहा है। कहते हुए आकाश बाबू के आंखों में उतर आयें आंसूं सबकुछ बयां कर गये।