शब्दों की भाषा

मैं अनेक शब्दों को गुंथकर
अपने अल्फाजों को सहेजता हूं
कि जब तुम मिलोगी तो मैं
अपने भावों को व्यक्त करूंगा।
ऐसा कहंूगा, वैसा कहूंगा
इस तरह से या उस तरह से
अपने भाव स्प्ष्टत: अब
तुम्हारे समक्ष व्यक्त करूंगा।
लेकिन तुम्हारे सामने आते ही
गंुथें हुए विचार और शब्द भाव
न जाने कहां चले जाते हैं
तुम्हें देखकर सकपका जाता हूं।
चाहते हुए भी कुछ कह नही पाता हूं।
तुम्हारे जाने के बाद संयत होकर
खुद को दुत्कारता हूं कि अहा..
अच्छा मौंका था भाव व्यक्त करने का
लेकिन आज भी रोज की भांति
न कह पाया, न समझा सका।
वैसे अवनि मैं जानता हूं तुम
मेरे भावों को जानती हो
तभी तो तुम जाते हुए
मन्द-मन्द मुस्कराकर बिन कहे
सब कह जाती हो।
और एक मैं हूं बुद्धू का बुद्धू
गुथें हुए शब्दों की भाषा भी
व्यक्त नहीं कर पाता हूं।।
मैं अनेक शब्दों को गुंथकर
अपने अल्फाजों को सहेजता हूं
कि जब तुम मिलोगी तो मैं
अपने भावों को व्यक्त करूंगा।
ऐसा कहंूगा, वैसा कहूंगा
इस तरह से या उस तरह से
अपने भाव स्प्ष्टत: अब
तुम्हारे समक्ष व्यक्त करूंगा।
लेकिन तुम्हारे सामने आते ही
गंुथें हुए विचार और शब्द भाव
न जाने कहां चले जाते हैं
तुम्हें देखकर सकपका जाता हूं।
चाहते हुए भी कुछ कह नही पाता हूं।
तुम्हारे जाने के बाद संयत होकर
खुद को दुत्कारता हूं कि अहा..
अच्छा मौंका था भाव व्यक्त करने का
लेकिन आज भी रोज की भांति
न कह पाया, न समझा सका।
वैसे अवनि मैं जानता हूं तुम
मेरे भावों को जानती हो
तभी तो तुम जाते हुए
मन्द-मन्द मुस्कराकर बिन कहे
सब कह जाती हो।
और एक मैं हूं बुद्धू का बुद्धू
गुथें हुए शब्दों की भाषा भी
व्यक्त नहीं कर पाता हूं।।
shaandaar rachna ... kai baar vyakti aise manobhawon se gujarta hai
ReplyDeletepyar me bin kahe bhi insan sab samajh jata hai
ReplyDeleteवाह ..क्या बात है..क्या सुन्दर भावों की रचना ..उम्दा
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDelete...
bahut khub
...
BAHUT KHUB...MUJHE SILSILA KA GANA YAAD AA GYA.........TUM HOTI TO AISA HOTA, TUM HOTI TO WAISA HOTA..:)
ReplyDeleteUmda khayalat
ReplyDeleteAbhari hun aap sabhi ka. thanks
ReplyDeleteएक दर्द की चाह के छठपताहट
ReplyDeleteमेरा दर्द न जाने कोई
bahut sunder rachna, achha laga padhna.
ReplyDeleteshubhkamnayen