Pages

Thursday, February 24, 2011

ड़ायरी में एक निशानी मिली है





तुम संग हमारी कहानी मिली है।
लगता यहीं पास तुम मेरे बैठी
रूठी मनाती जवानी मिली है।
वो पहला मिलन है याद तुमको?
वो हाथों में थैले लिये तुम जो आयी
रस्ते का मिलना अहा क्या भला था
लब चुप थे हालात नयनों ने कहे थे।
कुछ पल को संग-संग राह चलना
बातों ही बातों में सबकुछ समझना
यों लिखना, पढ़ना लिखकर समझना
वो हंसना हंसाना क्या पल था सही वो......
तुम्हारी निशानी यों सहेज लेगें
इसमें हमारी ही जां जो छुपी है
हरपल तुम्हें ढ़ूढते हैं कमस से
कहीं तो मिलोगी कहीं तो दिखोगी
यकीं है हमें फिर से दीदार होगा
जब फिर हमारी कहानी बनेगी
कहानी बनेगी, निशानी मिलेगी।
दिल को इक अज्ब खयाली मिली है
कागज में अपनी जिन्दगानी मिली है।


D. Dhyani. 24/2/11 at. 1-35 pm.


















No comments:

Post a Comment