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Wednesday, July 8, 2015

गेड
गेड भली
नि होंदी
जिकडू म ,
दगडयु म,
समाज म,
अर
मन्ख्यों म।
खुमसा खुमस
भि
अच्छी नि होंदी
परिवार म,
घर गौ म,
समाज म,
अर
आपसदारी म।
सब्यों को
अपरू नसीब च,
अपरू भाग्य च,
अपरू काम अर
अपरू सागोर च
काम कन्नो,
बात ब्व्वनो।
इलै
समाज हो,
साहित्य हो,
घर हो चा
कखि बि होवन
मिलि की रवा
मिलि की चला
अर सब्यों तैं
ऐथर बढ़ौना
जतन करा.
नथर
कैन क्य स्वचण?
कि फलण बल
हमरा
बड़ा छाया
पर तौन
हमु थैं कब्बि
सै बाटु
नि बथाया। …दिनेश ध्यानी। ८/७/१५. १बजे दिन।