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Monday, September 2, 2013

मेरे जाने के बाद

मेरे जाने के बाद
बहुत कम लोग
शोक मानायेंगे
चन्द लोगांे के हिय
कसमसायेंगे
गिने चुने लोगों की
आंखों में अश्रु आयेंगे
मेेरे जाने के बाद।

सगे, संबधी, अपने, पराये
मित्र, सखा, लोग-बाग
कुछ ऐसे भी होंगे
जो कहेंगे, अच्छा हुआ
निपट गया।
बहुत बनता था
हर किसी की बात पर
उंगल करता था
सिद्धान्तवादी बनता था
सामने ही सामने
बात कहने की हिमाकत करता था
वे लोग कांटा निकलने का
सुकून पायेंगे
मेरे जाने के बाद।

शोक सभा......!! शायद
हो.... भी न भी हो
उसमें आये कुछ लोग
मेरे बीते पल दुहरायेंगे
अच्छी बातें कहकर
माहौल बनायेंगे
बातों ही बातों में मेरी
तारीफ के पुल बांधेंगे
मेरे जाने के बाद।

आकलन होगा?
शायद हो, न भी हो
बस चन्द दिनांे मेंे
सब भूल जायेंगे
मेरी कविता, कहानियों की किताबें
किसी कोने में धूल खायेंगी
अनकही कथा, कहानियां
बात कहने को कसमसायेंगी
मेरे जाने के बाद।

इन सबसे अलग, सबसे अहम
एक हिय ऐसा होगा
जिसे मेरे न होने का
विश्वास ही नही होगा
वो मन ही मन
न रो सकेगा 
न हंस पायेगा
मेरे जाने के बाद।

उसके होंठ मेरे गीत
गुनगुनायेंगे
सुनहरे बीते पल उसकी 
आंखों में तैर आयेंगे
मेरी कविता, कहानी उसे
मेरी याद दिलायेंगी
बीते पलों का इतिहास बतायेंगी
हर लम्हा उसे मेरी याद आयेगी
मेरे जाने के बाद।
दिनेश ध्यानी
02, सितम्बर, 2013.