रास्ते का पत्थर
मैं रास्ते का
एक पत्थर हूं
कोई ठोकर मारता
कोई इधर कोई
उठाकर
उधर फेंकता।
जब जिसका
जी करता मेरे
आत्म सम्मान से
खेलता।
मैं चुपचाप
अपने भाग पर
आंसू बहाता
और कभी कभी
न चाहते हुए भी
यह सोचकर
मुस्कराता
कि चलो में राह में
पड़ा तो हूं
मुझे लोग
पटकते
उठाते हैं
और मेरे भावों से
खेलते हैं तो क्या
मैं उन पत्थरों से
बेहतर जो
दीवारों में चिने हैं
जो नींव में बुने हैं
और जो खुद को
खपाकर कितना
बोझ सहे हैं।
दुनियां की नजर में
मेरी कोई कीमत न हो
मेरा कोई मान न हो
लेकिन मैं जानता हूं
मैं दीवार से लेकर
ढ़ोर ड़ंगरों
और इधर उधर हांक
लगाने के लिए दुzत
गति से गोली की मांनिद
लपक जाता हूं
यह बात अलग है
कि मेरी भावना
और मेरे मान को
कभी मान नही मिला
जिसको जैसा
मौका मिला
सबने मेरा
उसी प्रकार से
प्रयोग किया।।....ध्यानी... 30 अगस्त. 2011
सच्चा प्यार
अनुभूति है
समर्पण की
पराकाष्ठा है
जज्ब होने की।
चाहना है
अपने से बढ़कर
चाहने की
बस यों कहो
खुद को खोकर
पzेम पाने की।
सारे भावों में
अलग और
दीन दुनियां से विलग
उस पावस के पास
बस जीवन के
हर भाव में उच्छवास।
पागलपन है
सनकी मौज है
न हो पास तो
वेदना दिल में
तनमन की अगन
बस उसी की लगन।
पzेम प्यार नहीं
सबके नसीब में यार
जिसे मिले सच्चा प्यार
करो उसका ऐतबार
वर्ना जब नही होता पास
तब होता है
उसके महत्व का अहसास।
मत खोना गर मिला है
तुम्हें सच्चा प्यार
बमुश्कित मिलता है
जग में किसी-किसी को
सच्चा प्यार।
नसीब वाले होते हैं वे
अवनि! जिसे मिलता है
सच्चा प्यार।
मर्जी तुम्हारी रखो संभाल
करो ऐतबार या
फिर यों ही खो दो या
कर दो दरकिनार
लेकिन कभी कम या कभी
भुलता नही सच्चा प्यार।
प्यार करने वाला तो
सनकी होता है
अपने को जलाकर पेzेम की
लौ को जलाये रखता है
अपने प्यार की याद में
दिन रात जलता और
तड़पता रहता है
बहुत टूटता रहता है
जब उसे नही
समझता, नही मानता
उसका प्यार।
सुनो! हो सके तो रखो संभाल
और
अगर गंवा दिया तो फिर
कभी नही मिलेगा दुबारा
यह तो बस सिर्फ और सिर्फ
जीवन में मिलता है
एक बार।
तुम्हारी मर्जी करो ऐतबार
रखो उसे संभाल या
यों ही जाया कर दो उसे
समझकर बेकार और
वाहियात की बात।
तुम्हारी सोच और
तुम्हारा विचार
जिसने किया सच्चा प्यार
वह तो मरकर भी
करता रहेगा अवनि
तुम्हें प्यार।।... ध्यानी.... 30 अगस्त, 2011.
वाह! रे अन्ना हजारे ....
वाह! रे अन्ना हजारे
बहुत खूब किया प्यारे
बेईमानों की गाल पर
मारे तमाचे करारे....
वाह! रे अन्ना हजारे.
धरती के तुम बेटे
भारत की आत्मा हो
दीन हीन के हमदर्द
बेसहारो के हो सहारे....
वाह! रे अन्ना हजारे.
जन-जन चेत चुका
भारत अब जाग चुका
तुम्हारी एक आवाज ने
खोल दिये पट सारे....
वाह! रे अन्ना हजारे..
सूरत भी बदलेगी
सीरत भी बदलेगी
जन-गण-मन जागेगा
भारत भूमि से अब
बेईमानी का भूत भी भागेगा
सब जन हैं अब तुम्हारे सहारे...
वाह! रे अन्ना हजारे.
तुमने दी आवाज
एकजुट भारत आज
एक और आज़ादी का
तुमने अलख जगाया
तुम्हारी सोच सभी पर भारी
हिला दी सत्ता सारी
मुहं चुराते है अब
चोर,गद्दार सारे......
वाह! रे अन्ना हजारे.
नमन तुम्हें भारत के सपूत
जन-जन के ह्रदय सम्राट
तुम हो हम सबके प्यारे..
वाह! रे अन्ना हजारे...
समय का हिसाब
खुद से निसाब
कहाँ हो पाता है
किसी से भी ज़नाब?
कुछ गुनते हैं
कुछ बुनते हैं
सपनों की मीनार
बस यों ही चुनते हैं.
सोचा गर होता
क्यों फिर दिल रोता
तुम्हीं कहो अवनि !
हर सपना सच होता है?
कुछ मिलता है
बिन सोचे ही जब
बस जीवन तब
अवनि धन्य हो जाता है........ ध्यानी १२ अगस्त, २०११.
तीज का त्यौहार
आये अवनि बार बार
सदा ही रहे जीवन में
खुशियों का अम्बार.
जीवन की बगिया
हरदम रहे गुलज़ार
मुबारक हो आपको
ये तीज का त्यौहार.....ध्यानी..... २ अगस्त, २०११