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Friday, February 25, 2011

बेटियां







इक बात कहंू सच कहोगे
खेलना मत गोटियां
किस लिहाज से कम किसी से
हैं हमारी बेटियां?


खेत अरू खलिहान से बढ़
ऐवरेस्ट पर परचम बढ़ा
अन्तरिक्ष में जब पहुंची अंजू
मान जजनी का बढ़ा।
चूल्हा चौका खेती बाड़ी
रीढ़ थी, हैं बेटियां|


संस्कार देती त्याग की ये
स्नेह की भी मूर्तियां।
कौन सा फन है जगत में
हैं अछूती बेटियां
हर हाल में हर कदम पर
लोहा मनाती बेटियां।


दोहरी, तिहरी जिम्मेदारी
हस के झेले बेटियां
हर परीक्षा में हैं आगे
देखो अपनी बेटियां।
जंग हो या हो कलम
शासन प्रशासन में बेटियां


तुम न चाहो उनको बढ़ना
फिर भी बढ़ती बेटियां।
लाख वंदिश लाख पहरे
भावनाओं का दमन भी
ताड़ना, प्रताड़ना सहे हैं
फिर भी अब्बल बेटियां।


युग युगों से जब बढ़ी हैं
शक्ति बनकर बेटियां
रचनाकार हैं जगत की


शक्ति भक्ति हैं बेटियां।
भाव भूमि संबधों की धरा
संस्कार की हैं पोथियां
अपने जीवन का खपा कर
घर संवारें बेटियां।


सच कहूं सबसे अहम अरू
 बसे प्यारी बेटियां
हर कदम पर बेटों से बढ़कर
हैं हमारी बेटियां।।


दिनेश ध्यानी
25,फरवरी, 2011





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