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Monday, July 26, 2010

जबसे तुमे घर छोड़ा है,




जबसे तुमे घर छोड़ा है,
घर जाना ही छोड चुके हम
जिसे रस्ते से तुम गुजरे थे
उसे रस्ते को भूल चुके हम.


तुम जब से हम से रूठे हो
खुद भी रूठे गए हैं खुद से
सुबह का खाना,रैन की निदिया
खुद की खुद बिसरा बैठे हम.


कसम तुम्हे अब आजाओ ना
क्यों इतना हमसे रूठे हो तुम
तुम तो गए पर सोचा होता
सांसे भी क्यों साथ ले गए.


तुमबिन जीवन रीत गया है
सूनी अंगिया, बगिया सूनी
सच मानो तुम सबकुछ सूना
तुम बिन जीवन ही है सूना.


लौट चलो अब गुस्सा छोड़ो
हमको जीवन दान करो तुम
हम पर एक उपकार करो तुमसच घर का श्रंगार करो तुम |

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