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Tuesday, June 11, 2013












प्रेम कि गूल में
नेह के फूल से
भावों का स्पन्दन
हौले से देती हो.
हर्षित मन
खिलता तन
नेह थाप पाकर
पुलकित है रोम-रोम
कैसा अवनि प्रेम है...दिनेश ध्यानी...११/६/१३

1 comment:

  1. वाह........नेह थाप पाकर
    पुलकित है रोम-रोम....

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