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Tuesday, February 14, 2012

विधाता तेरा
शुकिzया मैं
किस तरह से करूं?
मैं तेरे अहसान को
किस तरह से
व्यक्त करूं?
तूने मुझे मेरी
अवनि! देकर
मेरे जीवन को
सार्थक कर दिया।
धन्य है तेरे
मेरे विधाता
जन्मजन्मांतर
बस मेरी अवनि!
का ही संग मिले
बस इस दुवा को
कुबूल करना। 14 फरवरी. 2012.

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