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Friday, September 17, 2010

तुम चुपके करना बात.......




तुम सपनों को देना आकार

तुम्हारे भाव रंगूंंगा

तुम खेना पतवार

तुम्हारी नाव बनूंगा।

स्नेह की करना बात

तुम्हारे स्पन सजूंगा।

तुम देना आवाज

तुम्हारी धाद बनूंगा।

तुम करना श्रृंगार

तुम्हारा हार बनूंगा।

तुम कहना अपना मर्म

तुम्हारी आस बनूंगा।

तुम लिखना दिनरात

तुम्हारी कलम बनूंगा।

तुम कहना मन की बात

तुम्हारी बात सुनूंगा।

तुम भावों को देना आकार

तुम्हारा प्यार बनूंगा।

अपना रखना ख्याल

तुम्हारी आस करूंगा।

तुम गाना राग मल्हार

तुम्हारा गीत बनूंगा।

तुम रहना मेरे पास
सदा ही प्यार करूंगा।
तुम चुपके करना बात
टुप्प से कान धरूंगा।
तुम देना आवाज
तुम्हारी राह तकूंगा।।

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर कविता....शुभकामनायें.

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