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Monday, April 25, 2011

शब्द जुबां पर होंगे लेकिन
कलम साथ जब तज देगी
कैसे भाव जगेंगे तुम बिन
अवनि हमारी क्या गति होगी?
तुम बिन कैसे जी पाउंगा
सोच-सोच घबरा जाता हंूू
जब भी तुम मुझसे रूठी हो
अन्दर तक मैं हिल जाता हूं।
तुम भावों में, तुम जीवन में
प्रेम प्यार की परिभाषा में तुम
अवनि हमारी तुम से जीवन
पगली! तुम बिन क्या कुछ हैं हम?


25अप्रैल, 2011. 1 बजकर 34 मिनट।






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