उसने कहा था
उसको मिले दशकों बीत गये
खुद भी खुद से दूर हो गये
लेकिन उसकी बात, उसका साथ
आज भी याद है.
उसने कहा था
कभी अगर मेरी याद आयी तो
तुम लौट आना पहाड़ो पर
तुम मुझे आवाज देना
मै तुमको मिलूंगी
फूलों की पखुरियों में
हवा की सनसनाहट में
और नदी की धारा में.
मै तब उसका मतलब कहने का मजमून
समझ नहीं पाया…
लेकिन बरसों बाद
जब लौटा हूँ पहाड़ों पर
तो उसकी बात को सच पाया है
सच उसका अक्ष
यहाँ की वादियों में पाया है..
जानती हो..!
वो बहुत दूर चली गयी है
शायद इतनी दूर की
अब उसे मिलना होना पाई
अब समझा
तब उसने क्यों करीब आने से
मन करदिया था,
अपनापन और एक कसिसे से
महरूम करदिया था..
तब मै उसको एक नासमझ
समझता था लेकिन
आज उसकी महानता का पता चला
सच वो कितनी महान थी....ध्यानी
No comments:
Post a Comment