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Friday, March 4, 2011

मुखरित होकर जब बोलेगा


शब्द अर्थ भी तो घोलेगा
छन्दों में होंगे गीत मेरे
तेरे भावों को तोलेगा।
तुम मेरी कलम की ताकत हो
भावों की हो तुम अवनि धरा
मेरी चाहत भी तुम से ही
ये भाव कहीं तो तोलेंगे।
तुम निश्चल प्रेम की गाथा हो
मेरी घड़कन परिभाषा हो
मेरे हिय, उर में तुम ही हो
मेरी रचना में रची बसी।।


4/3/11: at 1-40 pm.

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