Pages

Friday, March 25, 2011

अजीब सी अकुलाहट


अचानक घेर लेती है


उदासी से भर जाता है


मेरा अंतस अपने आप.


कोशिस करता हूं कि


जान सकूँ कुछ कारण


क्यों ऐसा हो गया मेरा


मन और चितवन अचानक?


जानती हो अवनि कुछ भी


ना तो साफ सूझता है और


नहीं कुछ समझता हूं कारण


लेकिन फिर से ब्यथित और उदास .


उहा पोह में था ही की अचानक


तुम्हारी याद ने कसिस को


और हवा दे दी, डूब गया फिर से


अपने दुःख और दर्द में यूँ ही..


जानती हो तुम मेरे अंतस को


लेकिन कभी भी तुमने कहा नहीं


लगता मेरे भावों को जाना नहीं?


जानती भी हो पर कहती नहीं.


कभी कभी जब तुम इस तरह


झटक देती हो मुझे तो यूँ ही


फिर से हो जाता हूं उदास और ब्याकुल


ब्यथित और घिर जाता अकुलाहट से.....!!


25/3/11. at: 12:45 pm.

No comments:

Post a Comment