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Monday, May 2, 2011

मेरा सत्व, मेरा अस्तित्व
मेरा आज मेरा कल
मेरा हर भाव
और पल-पल
तुमसे ही है तभी
तो हूं विकल।
तुम जानती तो हो
मानती भी हो फिर
क्यों समझती नही हो?
तुम्हारा हूं तुमसे
कम अलग और कब
विलग था मैं
बस जरा मेरे भावों को
मेरे ख्वाबों को
मेरे आज और कल को
अपने स्पदन से
अपने नेह से
अपने स्नेह से
भाव दे दो
मेरी अवनि
तुम मुझे कुछ पल
उधार दे दो।।


2 मई. 2011

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