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Thursday, March 17, 2011

परिभाषा








मेरी पहचान मेरी परिभाषा


मेरा नाम मेरी बोली-भाषा


जानकर क्या करोगे? बोलो


तुम पहचान कर क्या करोगे?


जानती हो मेरी पहचान क्या है?


अदना सा सबसे अंतिम पक्ति में


खड़ा बेहद दोयम दर्जे का हूं


मेरा नाम कुछ नही है क्योंकि


नाम तो उनका होता है जिनका


कुछ काम होता है इस जहां में।


मेरी बोली-भाषा? कुछ नही


जब अपनी बात किसी को


नही समझा पाता हूं, और


किसी के भावों को जान न पाता


तुम्हीं कहो ऐसे इसांन की क्या


बोली और भाषा हो सकती है?


मेरी परिभाषा..? अरे वो तो हो ही


नहीं सकती है क्योंकि मुझमें


कुछ है ही नही जो कोई मेरी


परिभाषा गढ़े, मुझे पढे+।


सुनो अवनि तुमसे मिलकर


ये सारे भाव अपने आप


मेरे अन्तस में जगने लगे हैं


काश मेरा नाम होता,


मेरी बोली-भाषा होती


और मेरी परिभाषा होती


तुम मिली हो ना तो लगता है


अब मैं भी अपना नाम


अपनी बोली और भाषा और


परिभाषा पा सकूंगा


सच मैं भी इसांन बन सकूंगा।।






16/3/11. at: 12:35 pm.

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