Pages

Thursday, May 5, 2011

शतरंज की बिसात पर
हम सब मोहरे हैं
क्या फर्क पड़ता है
काले हैं या गोरे हैं.
कभी ओसामा
कभी ओबामा
पाक, अफगान तो
हैं बस बहाना.
हमारी दुनिया का
एक थानेदार है
मर्जी का मालिक
वो ताकत वाला है.
नचाता है वो
नाचती दुनिया है
बड़ी बड़ी सल्तनतें
उसके पर की जूती हैं.
ओसामा को मारा
पाला भी तो उसीने था
मर्ज बढ़ाता वो पहले
फिर दवा खोजता है.
उसमे भी अपना फायदा
अपने हक की सोचकर
आगे कदम रखता है
वो मदारी बहुत होशियार है.. ध्यानी ५ मई, २०११.

1 comment: